हथियार का दाह-संस्कार - दरभंगा
यह बिहार का पहला मौका है जब किसी भी केस में अदालत के आदेश पर अपराधी के पास से बरामद हथियार को आग में पिघलाकर उसे नष्ट किया जाएगा | दरअसल पूरा मामला दरभंगा के विश्वविद्यालय थाना का है जहा वर्ष २००५ में एक हथियार और दो कारतूस सहित अपराधी शंकर मंडल को थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल बेजा था | जिसमे अदालत ने अपराधी को दोषी पाते हुए उसे डेढ़ साल की सजा सुनाई थी जिसमे अब अदालत के आदेश पर मजिस्ट्रेट के सामने अपराधी के पास से जप्त कारतूस और पिस्टल को आग के हवाले किया जायेगा ताकि वह पूरी तरह नष्ट हो जाये |
स्कूली बच्चो पर खर्च करता अपना वेतन - दरभंगा
बिहार के दरभंगा में एक मिडिल स्कुल के प्रिंसिपल अपने वेतन के आधे से ज्यादा पैसो को अपने स्कुल के बच्चो पर ही खर्च कर देता है| दरअसल वर्ग एक से आठ तक चलनेवाली इस स्कुल में तक़रीबन सात सौ बच्चे पढ़ते है, पर इतने बच्चे को पढ़ाने के लिए स्कुल में नियमित रूप से मात्र पांच ही शिक्ष्क है जबकि एक समय में वर्ग चलाने के लिए सोलह शिक्ष्को की आवश्यकता है क्यू की एक वर्ग के दो सेक्शन है| जाहिर है ऐसे में शिक्ष्को की कमी के कारण स्कुल में पढाई ना के बराबर रह गयी बच्चे भी पढाई के अभाव में स्कुल से धीरे-धीरे कम होते चले गए | स्कुल के प्रधानाचार्य लगातार अपने स्तर से स्कुल में और शिक्ष्को की मांग अपने अधिकारी से करते रहे पर कोइ सुनवाई नहीं हुआ | थक हार कर स्कुल के प्रिंसिपल ने अपने ही स्तर से आठ शिक्ष्को को निजी तौर पर क्लास लेने के लिए स्कुल में रख लिया | ऐसे सभी शिक्ष्को को स्कुल के प्रिंसिपल अपने वेतन से सभी शिक्ष्को को वेतन दे रहे है | एकतीस [३१] हज़ार वेतन उठानेवाले प्रिंसिपल अपने वेतन से सोलह [१६] हज़ार रूपया निजी रूप से रखे शिक्ष्को पर बाँट देता है| प्रिंसिपल के व्यवहार से सिर्फ इलाके के लोग खुश है बल्कि अब बच्चे भी स्कुल का रुख करने लगे है और पढाई से ज्यादा खुश भी दिख रहे है | बिहार में शिक्षा की ऐसी स्थिति तब है जबकि बिहार के मुखिया नीतिश कुमार चालीस छात्र पर एक शिक्ष्क होने की बात कहते है
लगभग दस सालो से बांध रखी है सर पर काली पट्टी - दरभंगा
बिहार के दरभंगा जिले में एक हिन्दी के प्रोफ़ेसर ने बांध रखी है अपने सर काली पट्टी , काली पट्टी बांधने का काम उन्होंने २००२ से शुरू किया जो अब तक लगातार जारी है | कही भी आने - जाने से लेकर अपने कालेज में क्लास लेने समय भी वह सर पर काली पट्टी लगाकर ही रहते है | यहाँ तक की किसी रिश्तेदार के यहाँ जाए या फिर किसी शादी ब्याह के मौके पर सभी जगह उनका ये हुलिया देखने को मिल जायेगा | एक तरफ सर पर ऐसे काली पट्टी लगाने के कारण उनके दामाद की नौकरी चली गयी वही दूसरी तरफ अब प्रोफ़ेसर साहेब की पत्नी उनके विरोध में सुर उठाने लगी है कई बार उनकी आपस में कहा - सुनी भी हो चुकी है | पत्नी को एक नया काम मिल गया है जिससे वे और ज्यादा नाखुश रहती है | प्रोफ़ेसर साहेब के कपडे के साथ - साथ अब उनके इस काली पट्टी की भी देख भाल करनी पड़ती है | हॅालाकि प्रोफ़ेसर साहेब के बेटे उनके इस काम को बुरा नहीं मानते या फिर यू कहे तो पिता के सामने बेचारे बेबस नज़र आते है | कई बार प्रोफ़ेसर साहेब को इस काली पट्टी के कारण मज़ाक का पात्र बनना पड्ता है तो कई बार जान को भी खतरा महसूस हो चूका है | प्रोफ़ेसर साहेब ये सब इसलिए कर रहे है की आम लोगो से लेकर सरकारी कर्मचारी तक के लोगो को काम के बदले पैसे मिलने में जो देरी होती है और अपने मेहनताना लेने में जो कठिनाई का सामना करना पड्ता है वह नहीं हो | इसके लिए उन्होंने अपनी सबसे बड़ी डिलीट की उपाधि भी राज्यपाल को लौटा दी ताकि कम से कम अपने विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार को ख़त्म कर सके पर ऐसा कुछ नहीं हुआ | अपने जीवन के हर रंग को समेट कर इन्होने लगभग दर्ज़नो किताबे भी लिख चुके है | सभी जगह दिए आवेदनों को जमा करके एक मोटी फाइल बना चुके है जो सैकडृो पन्ने के है | नीचे के अधिकारी से लेकर राष्ट्रपति भवन तक काली पट्टी में ही जाते है | इनके ऐसे कारनामे को देख लोग भी हैरान है |
कैम्प लगाकर हुया धारा ११० का पालन - दरभंगा
बिहार के दरभंगा में भी हुआ सी.आर.पी.सी.११० का पालन समाज में ऐसे अपराधी और रंगदारी करनेवालों के खिलाफ अब पुलिस का जोरदार अभियान शुरु होगया है जिसमे खूब प्रचार - प्रसार करने के बाद लोकल स्तर पर एस.डी.ओ.के नेतृत्व में कैम्प लगाकर वैसे अपराधियो पर लगाम लगाने की कोशिश की जारही है जिनसे समाज में अराज़कता की स्थिति पैदा हो जाती है या फिर आम लोग उन अपराधी से खासे परेशान रहते है | दरभंगा के दो थाने में भी अगल - अलग जगह कैम्प लगा जिसमे दो लोगो को एक - एक लाख रुपये की बंध - पत्र भराया गया ताकि भविष्य में वे अपराधी कोइ ऐसी घटना न करे | लहेरियासराय थाना में एक पूर्व पार्षद शिवागुतुल्लाह उर्फ़ डब्बू खान पर रंगदारी व दबंगई के कारन बौंड भराया गया वही सदर थाना में रामानंद पासवान को डकैती व आदतन अपराध करने के कारण बौंड भरना परा |पुलिस की यह पहल अभी लगातार लम्बे समय तक चलनेवाली है ताकि समाज को भय मुक्त रखा जाये |
महंगाई की मार - दरभंगा
महंगाई की मार से अब लोगो का बुरा हाल हो गया है | बढ़ती महंगाई ने पहले खाने के थाली से दाल छिना फिर हरी सब्जी अब तो स्थिति ऐसी आ गयी है की पूरी की पूरी थाली ही गायब हो गयी है | गरीबी रेखा के नीचे जीने वाले लोग एक शाम किसी तरह रुखी सुखी खा कर कई बार भूखे ही सोने को मजबूर हो गए है | बिहार के दरभंगा जिले में भी एक ऐसे बी.पी.एल. सूची के अंतर्गत मोहम्मद मुमताज़ के परिवार से हमारी टीम ने मुलाकात की| मुमताज़ पेशे से रिक्शा चालक है और दरभंगा के बेंता मोहल्ले में रहता है|मुमताज़ अभी बीमार चल रहा है और वह अभी बोलने की स्थिति में नहीं है पर उसकी आर्थिक हालत का पता इसी से लगाया जा सकता है कि जिस रिक्शे से मुमताज़ अपने परिवार का भरण पोषण करता है उस रिक्शे का भी वह ठीक से मरम्मत नहीं करा सकता घर के दरवाज़े पर ही उसके रिक्शे को देखने से ही पता चल जाता है जिसके एक चक्के में टायर ही नहीं है ऊपर से रोज़ रिक्शे का किराया रिक्शा मालिक को देना परता है वो अलग | ऐसे में पांच लोगो के इस परिवार की जिम्मेवारी इसकी पत्नी जैतून निशा के हाथो में है | जैतून निशा अभी दाई का काम करती है और किसी तरह मांग - चांग के अपने परिवार का परवरिश करती है एक वक़्त खाती है तो दो वक़्त भूखे रह जाती है अपने बच्चो के बदन पर ठीक - ठाक कपड़ा नहीं दे सकती तो बच्चो की पढाई का खर्च उठाना तो सोच भी नहीं सकती | घर के चूल्हे को ही देखने से साफ़ पता चलता है कि ना जाने यह चूल्हा कब जला हो | जैतून अपने बच्चे को कभी चुडा तो कभी नमक रोटी खिलाकर इस उम्मीद में जी रही है कि कभी तो अच्छा समय आएगा पर हालत बाद से बत्तर होते जा रहे है | हॅालाकि की सरकार की ओर से इसे बी.पी.एल.कार्ड दिया गया है पर उस पर अनाज नहीं मिलता चॅूकि डीलर या बिचौलिये इसकी अनाज को गरक कर जाते है कई बार आवाज़ उठाती है पर सुननेवाला कोई नहीं | घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण घर की स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं है घर के छप्पर पर किसी तरह पॉलिथिन डाल कर रह लेती है पर घर में दरवाज़ा या खिड़की लगाने तक की पैसे नहीं है |
विरोध का अनोखा तरीका - दरभंगा
लोकआस्था का महान पर्व छठ के अवसर पर दरभंगा के नदी और तालाबो में समय रहते नगर निगम द्वारा घाटो की सफाई नहीं की गयी जिससे नदी और तालाबो में काफी गंदगी का आलम है कई पोखरों में तो लोग सड़े पानी और गन्दगी के बीच ही छठ जैसे महान पर्व को करने को मजबूर है और निगम के प्रति लोग गुस्से में भी है ऐसे में गुस्साए लोगो ने निगम का विरोध करने का अनोखा तरीका अपनाया और नगर निगम में ही छठ करने की ठानी और निगम परिसर में ही अस्थाई रूप से तालाब का निर्माण कर लिया | लोग अपनी तरफ से श्रम दान कर निगम में छठ पूजा के लिये घाट बनाया और संध्या अर्ध देने भी पहुचे | नगर निगम के क्रियाकलाप के विरोध में निगम में छठ करने का कारण भी साफ़ है ताकि आनेवाले समय में निगम प्रशासन के साथ - साथ जिला प्रशासन भी सचेत रहे और इस लोकआस्था के पावन पर्व से पहले सभी छठ घटो को साफ़ - सफाई करे ताकि छठ व्रती को कोई दिक्कत का सामना नहीं करना परे | इससे पहले आम लोग कई बार छठ घटो की सफाई के लिए निगम के आयूक्त और मेयर को लिखित रूप से शिकायत कर चुके है फिर भी निगम का ध्यान इस और नहीं गया | यह पहला मौका है जब छठ पूजा के लिए लोगो ने नगर निगम के परिसर पर कब्ज़ा किया है | नगर निगम तक आने जाने वाले रास्तो पर भी लोगो ने खुबसूरत तरीके से सजावट की है और छठ पूजा से मिलती जुलती अनेको प्रतिमा को बीच सडको पर आकर्षक तरीके से लगाया गया है | पर आश्चर्य की बात है की निगम के मेयर को यह सब नहीं दिखता बल्कि वे तालाबो की साफ़ सफाई से पूरी तरह सन्तुष नज़र आते है पोखरों में गन्दगी के लिए भी दूसरो लोगो पर इसका ठिकादा फोड़ते है और निगम परिसर में छठ पूजा हो रही है इससे अनभिज्ञता जाहिर करते है |
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